Authors : प्रा.डॉ. छाया शंकर माळी
Page Nos : 80-83
Description :
मानव जब जन्म लेता है तो जन्म से ही उसे अनेक अधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे – विचार अभिव्यक्ति, निर्णय स्वतंत्र, शिक्षा, नौकरी (चुनिदां कार्यक्षेत्र) । इन अधिकारों के रहते वह अपना जीवनक्रम व्यतीत करता है । समाज, परिवार के साथ रहते अनेक निर्बंधों को भी वह अपनी मर्यादा या अनुशासन मानकर उसका पालन करते हुए सम्मान से जीवन यापन करता है । प्रकृति के दो वर्ग हैं– स्त्री और पुरुष । पुरुषसत्ताक व्यवस्था और इसी कशमकश में वह अपना हक अधिकार पाने की कोशिश में अपने अस्तित्व निर्माण के पक्ष में पुरुष जाति से समानता तथा बराबरी का दर्जा प्राप्त करना चाहती है । अनामिका का काव्यसाहित्य इसी बात की ओर संकेत करते हुए अपनी कविताओं के माध्यम से नारी का मानव होने का अधिकार जागरूक करती हुई मानवीय संवेदना के प्रति स्त्री से संचेत करना चाहती है, जो समाजहीत, राष्ट्रहीत में है और पुरुष वर्चस्व से विद्रोह न करते हुए समानता की पक्षघर बनकर नारी जीवन की तमाम बारीकियों की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित करती है ।